*हमारी अधूरी कहानी*

 *हमारी अधूरी कहानी*


दीपावली का त्यौहार था मैं अपने कॉलेज से वापस घर जा रहा था। मैं अपने सीट पर आकर बैठ गया, त्यौहार के वजह से ट्रेन एकदम खचाखक भरी हुई थी अगले ही स्टेशन पर एक लड़की आई और किसी कारण बस उसका टिकट आरक्षित नही हो पाया था। वो काफी देर खड़ी रही उसको देख मुझे लगा ऐसी भीड़ में कहा खड़ी होगी और उसको मैंने अपनी सीट पर बैठने को बोल दिया। वो मेरे साथ मेरे सीट पर बैठ गई। थोड़े देर बाद मैंने उस से पूछा कहा तक आप जा रही उसने कहा बनारस और फिर मैने पूछा आप करती क्या हो उसने बताया कि वो चंडीगढ़ में XYZ कंपनी में जॉब करती है। फिर रास्ते भर हमने ढेर सारी बातें की। हम एक दूसरे के बारे में जानकारी ले रहे थे। उसने भी मुझसे पूछा आप क्या करते हो, मैने बोला इंजीनियरिंग कर रहा मैं। वो भी शायद इंजीनियर थी और उन्होंने मुझमें थोड़ी और दिलचस्पी दिखाई और पूछा कौन से ईयर में हो, मैने बोला एमटेक कर रहा फर्स्ट ईयर। और फिर हमने एक दूसरे से अपनी पसंद ना पसंद शेयर की। वो अपनी राय दे रही थी मैं अपनी तर्क रख रहा था। कुछ बातों में समानता होती तो कुछ बाते विपरीत। हम हस्ते और एक दूसरे के विचार आपस में शेयर कर रहे थे। इतनी सब बातों के बाद भी हम एक दूसरे के नाम से अंजान थे। शायद उनको भी इच्छा थी पूछने की और मुझे भी उतनी ही जिज्ञासा थी, लेकिन हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी। और धीरे धीरे हम अपने डेस्टिनेशन के करीब आगए। मुझसे रहा नही गया फिर मैने मुस्कुरा कर बोला आपकी आवाज बहुत अच्छी है। और फिर मैने पूछा आपका नाम क्या है, जैसे वो मेरे बिना पूछे ही बताने वाली थी सौम्या राजपूत। फिर मैने पूछा Saumya या Soumya और उसने बोला Saumya फिर मैने पूछा rajpoot या rajput। इतने में लोगों ने कहा अरे भाई आगे बढिए हमे उतरना है। और मुझे न चाहते हुए भी आगे बढ़ना पड़ा और वो भी जैसे कुछ कहना चाह रही थी। और इस तरह हमारी कहानी अधूरी रह गई ।।


Part 2 coming soon

Comments

Post a Comment